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दबाव व् प्रलोभन में बीडीपीओ ! फिरनी से कब्ज़ा हटवाने के लिए जदबाज़ी में बीडीपीओ- अपनी ही रिपोर्ट पर को ठन्डे बस्तें में डाला लोकायुक्त हरियाणा और एडीसी की न्यायालय के फैसले तकका नहीं नहीं किया सब्र

खुद बीडीपीओ की रिपोर्ट में स्पष्ट है कि 2012 कि पैमाइश के आधार पर अवैध कब्ज़ों की निशान देहि नहीं की जा सकती l अत: पुराणी मशीन से नए सिरे से पैमाइश करवाई जाये, तदुपरांत कब्ज़े खाली करवाने के लिए निशान देहि दी जा सकती हे l अब पाठक खुद समझदार हैं कि ना तो माननीय लोकायुक्त हरियाणा का कोई फैसला आया और ना ही अतिरिक्त उपयुक्त के न्यायालय का कोई फैसला आया, और ना ही नई पैमाइश का कोई प्रावधान फिर भी बीडीपीओ किस मक़सद को पूरा करने के लिए इस तरह के नोटिस जारी कर रहे हैं ? मतलब साफ़ है कि कहीं ना कहीं भारी दबाव या कोई प्रलोभन इसके पीछे काम कर रहा है l

गांव घुसकानी की फिरनी पर अवैध कब्जों को लेकर प्रशासन व् ग्रामीण असमंजस की हालत में है इन अवैध कब्जों को लेकर ग्रामीण व् जिला प्रशासन असमंजस में लगता है वहीँ बीडीपीओ फिरनी से कब्ज़े हटवाने के लिए उतावले नज़र आते हैं l
जबकि खुद बीडीपीओ की रिपोर्ट में स्पष्ट है कि 2012 कि पैमाइश के आधार पर अवैध कब्ज़ों की निशान देहि नहीं की जा सकती l अत: पुराणी मशीन से नए सिरे से पैमाइश करवाई जाये, तदुपरांत कब्ज़े खाली करवाने के लिए निशान देहि दी जा सकती हे l अब पाठक खुद समझदार हैं कि ना तो माननीय लोकायुक्त हरियाणा का कोई फैसला आया और ना ही अतिरिक्त उपयुक्त के न्यायालय का कोई फैसला आया, और ना ही नई पैमाइश का कोई प्रावधान फिर भी बीडीपीओ किस मक़सद को पूरा करने के लिए इस तरह के नोटिस जारी कर रहे हैं ? मतलब साफ़ है कि कहीं ना कहीं भारी दबाव या कोई प्रलोभन इसके पीछे काम कर रहा है l

गांव घुसकानी की फिरनी पर अवैध कब्जों को लेकर प्रशासन असमंजस की हालत में है इन अवैध कब्जों को लेकर
गांव घुसकानी की फिरनी पर अवैध कब्जा को लेकर प्रशासन और गांव वाले असमंजस की स्थिति में है। प्रशासन  काफी लंबे समय से कब्जे हटाने का प्रयास कर रहा है लेकिन प्रकाश प्रशासनिक अधिकारी मौके पर जाकरनिशान देहि कर पाने में असमर्थ रहे हैं जिस कारण यह कब्जे नहीं हटाए गए आपको बता दें कि ग्राम पंचायत घुसकानी द्वारा 2012 में एक पैमाइश करवाई गई थी l जिसके अनुसार गांव की फिरनी पर कुछ लोगों द्वारा मकान बना लिए जाने की पुष्टि हुई थी इसी पैमाइश के आधार पर कई बार गांव में प्रशासनिक कार्रवाई अमल में लाये जाने की कार्रवाई शुरू की गई 24 नवंबर 2024 को भी गांव में राजस्व विभाग और पंचायत विभाग के अधिकारी अपने लाव-लश्कर के साथ अवैध कब्जों की निशान देहि देने के लिए पहुंचे थे ग्रामीणों में कोई विरोध नहीं था लेकिन मौके के नोडल अफसर अफसर बीडीपीओ और राजस्व विभाग के तमाम अमले को 2012 की पेमाईश के निशानात नहीं मिले जिसकी एक रिपोर्ट बीडीपीओ ने आधिकारिक तौर पर प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपी इस रिपोर्ट के मुताबिक इस संबंध में एक मुकदमा लोकायुक्त हरियाणा के पास चल रहा है जिसकी सुनवाई 24 दिसंबर 2024 को होनी है एक मुकदमा सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी भिवानी की अदालत में चल रहा है जिसकी तारीख सुनवाई की तारीख 23 12 2024 है इस फैसले में साफ किया गया है की इन दोनों फसलों के निर्णय उपरांत ही नियम अनुसार काव्य मन में लाई जाएगी लेकि यहाँ मौके नोडल अफसर की रपोर्ट में विरोधाभास साफ़ साफ़ देखने को मिलता है l इस रिपोर्ट मेंन एक तरफ तो स्पष्ट है कि नई पैमाइश के बिना अवैध कब्ज़ों के निशानात नहीं दिए जा सकते वहीँ दूसरी और माननीय लोकायुक्त हरियाणा और अतिरिक्त उपयुक्त के फैसले के बाद अवैध कब्ज़ा की निशान देहि किये जाने की बात की गई है l बीडीपीओ ने अपनी रिपोर्ट में राजस्व के अधिकारीयों का हवाला देकर लिखा है कि सीएम विंडो पर जो शिकायत दी गई है उसे दफ्तर दाखिल करने की हिदायत दी जाए l इस सब के बावजूद बीडीपीओ ने अपनी ही रिपोर्ट की अनदेखी करते हुए ना तो माननीय लोकायुक्त हरियाणा की सुनवाई जो 24 दिसंबर को होनी है और ना ही अतिरिक्त उपायुक्त के न्यायालय के फैसले का इंतजार किया जिसकी सुनवाई 23 दिसंबर को होनी है l ऐसा लगता है बीडीपीओ ने जकिसी प्रभाव में आकर ल्दबाज़ी में 18 दिसंबर को 5 दिन के अल्प कालिकनोटिस पर 2012 की पैमाइश अनुसार फिरनी खाली करने के नोटिस जारी किये हैं l जबकि खुद बीडीपीओ की रिपोर्ट में स्पष्ट है कि 2012 कि पैमाइश के आधार पर अवैध कब्ज़ों की निशान देहि नहीं की जा सकती l अत: पुराणी मशीन से नए सिरे से पैमाइश करवाई जाये, तदुपरांत कब्ज़े खाली करवाने के लिए निशान देहि दी जा सकती हे l अब पाठस्क खुद समझ दर हैं कि ना तो माननीय लोकायुक्त हरियाणा का कोई फैसला आया और ना ही अतिरिक्त उपयुक्त के न्यायालय का कोई फैसला आया, और ना ही नई पैमाइश का कोई प्रावधान फिर भी बीडीपीओ किस मक़सद को पूरा करने के लिए इस तरह के नोटिस जारी कर रहे हैं ? मतलब साफ़ है कि कहीं ना कहीं भारी दबाव या कोई प्रलोभन इसके पीछे काम कर रहा है l

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