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डेंगू का कहर और सरकारी अनदेखी ले रही है लोगों की जान- हुड्डा

डेंगू ने तोड़े पिछले सारे रिकॉर्ड, लेकिन नींद में सो रही सरकार- हुड्डा

चंडीगढ़, 27 नवंबर। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने डेंगू के बढ़ते मामलों पर गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि डेंगू का सरकारी आंकड़ा करीब 6000 पर पहुंच गया है। लेकिन हकीकत में मामले इससे कई गुना ज्यादा हैं। अस्पतालों की ऐसी हालत है कि मरीज को भर्ती करने के लिए बेड तक मुहैया नहीं हो रहे हैं और ना ही उनका उचित इलाज हो पा रहा है। लगातार बीमारी लोगों की जान ले रही है लेकिन सरकार कुंभकरनी नींद में सो रही है। डेंगू का कहर और सरकारी अनदेखी लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि डेंगू ऐसी बीमारी है, अगर वक्त रहती इसकी रोकथाम की जाए तो इससे बचा जा सकता है। लेकिन बीजेपी ने वक्त रहते ना फॉगिंग करवाई और ना ही स्वास्थ्य विभाग में डेंगू के लार्वा को खत्म करने के लिए किसी तरह की सक्रियता दिखाई। बीजेपी नई सरकार के जश्न में डूबी रही और लोगों की जान जाती रही। अब भी सरकार की तरफ से ऐसे कोई कदम नहीं उठाए जा रहे, जिससे बीमारी कम हो।

क्योंकि जब से भाजपा सत्ता में आई है, उसने स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने की बजाय एक के बाद एक घोटाले को अंजाम देने का काम किया है।

ऐसा करके ना सिर्फ सरकार ने जनता का करोड़ों रुपया लूटा है, बल्कि लोगों की जिंदगी से भी खिलवाड़ किया है। ये खुलासा खुद कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की ताजा रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट से स्पष्ट है कि नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं और डॉक्टर मुहैया करवाने की बजाय सरकार करोड़ों रुपए के घोटालों को अंजाम देने में लगी हुई है। रिपोर्ट ने बताया है कि मात्र 42 से 209 किलोमीटर का सफर, कई एंबुलेंस ने 1,05,000 से लेकर 5 लाख रुपए में तय किया। यानी लगभग 2500 रुपये प्रति किलोमीटर में एंबुलेंस ने अपनी सेवाएं दीं। हमारी मांग है कि ऐसी एंबुलेंस चलाने की बजाए बीजेपी सरकार हेलीकॉप्टर चलवा दे, क्योंकि वो भी इससे सस्ता पड़ेगा।

इतना ही नहीं एंबुलेंस के मरीजों तक पहुंचने के समय में भी जमकर झोल किया गया है। मरीज की कॉल और मरीज तक एंबुलेंस पहुंचने का टाइम बिलकुल एक ही है। यानी 0 सेकेंड, 0 मिनट में एंबुलेंस मरीज के पास पहुंच गई, मानो मरीज ने एंबुलेंस में बैठने के बाद ही कॉल किया हो।

सीएजी रिपोर्ट में कहा है कि लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करते हुए सरकार ने ब्लैक लिस्टेड कंपनियों से भी दवाइयां और उपकरण खरीदे। इतना ही नहीं, सरकार ने ऐसी 15 एंजेसियों को 5.67 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया है, जिनकी दवाएं कई बार घटिया साबित हो चुकी हैं।

जब से भाजपा सत्ता में आई है, उसने प्रदेश के शिक्षा व स्वास्थ्य तंत्र को पूरी तरह नजरअंदाज किया है। यही वजह है कि आज प्रदेश में लगभग 30% डॉक्टरों और 42 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों के पद खाली पड़े हुए हैं।

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