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ट्रम्प के अमेरिका के राष्ट्रपति बनते ही रूपये की कीमत डॉलर के मुकाबले न्यूनत्तम स्तर पर पहुंची

डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 84.31 के करीब; शेयरों की बिकवाली, कच्चे तेल के दाम में तेजी का दिखा असर

करूर वैश्य बैंक में ट्रेजरी के प्रमुख वीआरसी रेड्डी ने कहा, ‘डॉलर के मुकाबले रुपये को 84 पर पहुंचने से रोकने के लिए आज बाजार में रिजर्व बैंक मौजूद था।’

ट्रम्प के अमेरिका के राष्ट्रपति बनते ही रूपये की कीमत डॉलर के मुकाबले न्यूनत्तम स्तर पर पहुच गई है l यानि कि भारतीय रुपया अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बुधवार (6 नवंबर) को रुपया में करीब 22 पैसे की गिरावट आई है। दिनभर के कारोबार के बाद यह 84.31 रुपए प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ।


हालंकि रूपये को 84 पार जाने से रोकने के लिए बाजार में रिजर्व बैंक मौजूद था विश्व अर्थव्यवस्था के जानकारों का मानना है कि
10 अक्टूबर के बाद से ही रुपए में लगातार छोटी-बड़ी गिरावट हो रही है। इससे पहले कल यानी 5 अक्टूबर को रुपया अपने सबसे निचले स्तर 84.1225 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था। 10 अक्टूबर को डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी 83.9685 के स्तर पर था। 17 अक्टूबर को डॉलर के मुकाबले यह 84.03 के स्तर पर आ गया था।

भारतीय रुपया सोमवार को गिरकर डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक निचले स्तर के करीब चला गया। डीलरों का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने डॉलर की बिक्री के माध्यम से मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया, उसके बाद रुपया स्थिरता के साथ बंद हुआ।

स्थानीय मुद्रा 83.87 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुई, जो शुक्रवार को हुई इसके पहले की बंदी के बराबर ही है।

डीलरों ने कहा कि शेयर बाजार से निकासी, कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी और डॉलर सूचकांक में तेजी का रुपये पर असर पड़ा।

बाजार के हिस्सेदारों के मुताबिक रिजर्व बैंक ने संभवतः नॉन डिलिवरेबल फॉरवर्ड्स (एनडीएफ), लोकल स्पॉट और करेंसी फ्यूचर्स मार्केट के माध्यम से रुपये को डॉलर के मुकाबले 84 के पार जाने से रोकने के लिए कदम उठाया है।

स्थानीय मुद्रा का कारोबार लगातार तीन सत्रों से रिकॉर्ड निचले स्तर पर हो रहा है। बहरहाल ट्रेडर्स को उम्मीद है कि रिजर्व बैंक के समय से हस्तक्षेप के कारण डॉलर के मुकाबले रुपया 84 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार नहीं करेगा।

हालंकि रूपये को 84 पार जाने से रोकने के लिए बाजार में रिजर्व बैंक मौजूद था।’ उन्होंने कहा कि रुपया 84 प्रति डॉलर के स्तर को पार नहीं करेगा, क्योंकि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता और घबराहट के कारण डॉलर मजबूत हो रहा है।

इसके पहले के सप्ताह के दौरान रुपये में 0.3 प्रतिशत गिरावट आई है। चालू कैलेंडर वर्ष में इसमें 0.9 प्रतिशत गिरावट जबकि चालू वित्त वर्ष में 0.7 प्रतिशत गिरावट आई है।

इस बीच डॉलर-रुपया फॉरवर्ड प्रीमियम 11 आधार अंकों की गिरावट के साथ 2.27 प्रतिशत पर आ गया, क्योंकि अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में 50 आधार अंक की गिरावट के बाद वृद्धि हुई। अमेरिका में नौकरियों के आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहे।

सितंबर महीने में अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 2,54,000 नौकरियां जुड़ीं। यह पिछले 6 महीने में सबसे मजबूत स्थिति है और यह 1,40,000 के अनुमान से उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। साथ ही इन आंकड़ों ने अगस्त के 1,59,000 के संशोधित आंकड़ों को भी पीछे छोड़ दिया। बहरहाल बेरोजगारी दर गिरकर 4.1 प्रतिशत रह गई।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘इक्विटी की बिक्री की भरपाई करने के लिए एफपीआई डॉलर खरीद रहे हैं और धन वापस ले रहे हैं या उन्हें चीन के शेयरों में लगा रहे हैं, जो अभी भी तुलनात्मक रूप से भारतीय स्टॉक से सस्ते हैं। भारत और अमेरिका बीच ब्याज दर में अंतर में कमी के बाद इंडियन प्रीमियम में भी गिरावट आई है।’

विदेशी मुद्रा संपत्ति बढ़ने के कारण भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 27 सितंबर को समाप्त सप्ताह में बढ़कर 700 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। सप्ताह के दौरान कुल भंडार 12.58 अरब डॉलर बढ़कर 704.88 अरब डॉलर हो गया। यह विदेशी मुद्रा भंडार में पांचवीं बड़ी साप्ताहिक वृद्धि है। विदेशी मुद्रा संपत्तियां इस अवधि के दौरान 10.46 अरब डॉलर बढ़ी हैं, जिसकी वजह पुनर्मूल्यांकन का लाभ और हाजिर बाजार से रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर की खरीद है।

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