राजेंद्र कुमार
सिरसा, 21 अक्तूबर।
पराली को जलाने से पर्यावरण प्रदूषण होने के साथ-साथ भूमि को भी नुकसान हो रहा है। इसलिए जरुरी है कि किसान पराली को जलाए न बल्कि इसका प्रबंधन करें। पर्यावरण स्वच्छता व स्वास्थ्य के लिए पराली का प्रबंधन बेहद ही जरुरी है।
यह बात एसडीएम अर्पित संगल ने सोमवार को उपमंडल के विभिन्न गांवों में पराली प्रबंधन को लेकर जागरुकता शिविर में उपस्थित किसानों को कही। एसडीएम ने पराली प्रबंधन को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा दिए जा रहे सहयोग व पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश को लेकर किए जा रहे प्रयासों की भी जानकारी दी। पराली को जलाने से न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है, बल्कि भूमि की उर्वरा शक्ति भी खत्म होती है। इसलिए किसान पराली का प्रबंधन करें। इसके लिए प्रदेश सरकार अनुदान के रुप में सहयोग करती है। पराली प्रबंधन को किसान अपनी आय का स्रोत बना सकते हैं।
उन्होंने किसानों से अपील की कि वे फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाएं, धान के फानों को जलाने की अपेक्षा उनका प्रबंधन करें। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार पराली प्रबंधन के लिए अनुदान दे रही है, ताकि किसानों को पराली प्रबंधन में किसी प्रकार की असुविधा ना हो। बहुत से किसान पराली प्रबंधन कर रही हैं, दूसरे किसानों को उनसे प्रेरित होना चाहिए। उन्होंने बताया कि जहां किसानों द्वारा गांठों को बेचकर अतिरिक्त आमदनी होगी, वहीं पर्यावरण प्रदूषण में भी मुक्ति मिलेगी।
सिरसा, 21 अक्तूबर।
पराली को जलाने से पर्यावरण प्रदूषण होने के साथ-साथ भूमि को भी नुकसान हो रहा है। इसलिए जरुरी है कि किसान पराली को जलाए न बल्कि इसका प्रबंधन करें। पर्यावरण स्वच्छता व स्वास्थ्य के लिए पराली का प्रबंधन बेहद ही जरुरी है।
यह बात एसडीएम अर्पित संगल ने सोमवार को उपमंडल के विभिन्न गांवों में पराली प्रबंधन को लेकर जागरुकता शिविर में उपस्थित किसानों को कही। एसडीएम ने पराली प्रबंधन को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा दिए जा रहे सहयोग व पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश को लेकर किए जा रहे प्रयासों की भी जानकारी दी। पराली को जलाने से न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है, बल्कि भूमि की उर्वरा शक्ति भी खत्म होती है। इसलिए किसान पराली का प्रबंधन करें। इसके लिए प्रदेश सरकार अनुदान के रुप में सहयोग करती है। पराली प्रबंधन को किसान अपनी आय का स्रोत बना सकते हैं।
उन्होंने किसानों से अपील की कि वे फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाएं, धान के फानों को जलाने की अपेक्षा उनका प्रबंधन करें। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार पराली प्रबंधन के लिए अनुदान दे रही है, ताकि किसानों को पराली प्रबंधन में किसी प्रकार की असुविधा ना हो। बहुत से किसान पराली प्रबंधन कर रही हैं, दूसरे किसानों को उनसे प्रेरित होना चाहिए। उन्होंने बताया कि जहां किसानों द्वारा गांठों को बेचकर अतिरिक्त आमदनी होगी, वहीं पर्यावरण प्रदूषण में भी मुक्ति मिलेगी।