कलम पर कविता–कप्तान जलज ज्ञान वत्स
चंडीगढ़ जंगशेर राणा:-
रक्त कलम का अब,
कागज पर न व्यर्थ होगा ,
लिखा गया जो कागज के भाल पर,
हर शब्द का अर्थ होगा ,
कितनी गूंजी चीत्कारें,
कितनी ही शहनाई बजी,
लिखी गई सरगम कभी,
परिवर्तनों की नींव नई सजी,
कैसे कहे माथे पर कागज के,
क्या मानव भविष्य लिखा होगा ।
रक्त कलम का अब,
कागज पर न व्यर्थ होगा ।
लिखा गया जो कागज के भाल पर,
हर शब्द का अर्थ होगा ।
लिखें ऋषियों ने वेद सभी,
कलम कब रुकी रक्त तर्पण से,
भविष्य की आहट आई ,
पुरातन के दर्पण से ,
कैसे कहे अब कलम से ,
प्रसव दर्द न वो सहन होगा ।
रक्त कलम का अब,
कागज पर न व्यर्थ होगा ,
लिखा गया जो कागज के भाल पर,
हर शब्द का अर्थ होगा ।
रक्तबीजों की जन्मदात्री,
लिखा जो न मिटाने वाली,
ब्रह्मांड को समेटे कागज पर,
जीवन सार गीता में बताने वाली ,
सत्य हर शब्द का समय पर प्रकट होगा ।
रक्त कलम का अब,
कागज पर न व्यर्थ होगा ,
लिखा गया जो कागज के भाल पर,
हर शब्द का अर्थ होगा ।