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कैथल में 4 जेई 18 करोड़ के घोटाले में फंसे,3 मेट संस्पेंड किए गए, सांसद नवीन जिन्दल ने कार्रवाही के दिए थे निर्देश ।

चंडीगढ़,(राणा) । हरियाणा के कैथल जिले में 18 करोड़ रुपए के मनरेगा घोटाले का मामला सामने आया है। यहां अधिकारियों ने मिलीभगत कर कार्यों की गुणवत्ता की अनदेखी की और कुछ कार्य केवल कागजों में दिखाए । इसके अलावा मजदूरों की फर्जी गिनती दिखाकर फंड का गबन किया गया है।

इस मामले में प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए 3 मनरेगा मेट्स को सस्पेंड कर दिया है। वहीं, 4 जूनियर इंजीनियर (JE) के कार्यों में गड़बड़ियां पाई गई हैं। इन पर भी कार्रवाई की तैयारी है। मंगलवार को सांसद नवीन जिंदल की अध्यक्षता में हुई दिशा की मीटिंग में यह मुद्दा उठा था। इसके बाद सांसद ने कार्रवाई के आदेश दिए।

सरस्वती हैरिटेज डिवीजन 3 कैथल के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (एक्सईएन) दिग्विजय शर्मा ने इस मामले में जानकारी देते हुए कहा- सिंतबर के महीने में इस मामले की शिकायत मिली थी। हमें बताया गया था कि मस्टर रोल में कुछ गड़बड़ी पाई गई है। इस मामले को हमने तुरंत बीडीओ ऑफिस में ट्रांसफर कर दिया। उनकी जांच रिपोर्ट के अनुसार इसमें चार जेई शामिल हैं। इस मामले पर मेरे विभाग द्वारा भी जांच जारी है। जेई से इस मामले पर बात की जाएगी। दोषी पाए जाने पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।

मनरेगा में मजदूरों को लेकर आई शिकायत

कैथल में सीवन की BDPO नेहा शर्मा ने बताया है कि उनके पास मनरेगा में मजदूरों को लेकर शिकायत आई थी। शिकायतकर्ता ने बताया था कि ककराला इनायत गांव में करीब 40 लोग ऐसे हैं, जो विदेश चले गए हैं, लेकिन मनरेगा में उनके नाम पर अब भी मजदूरी आ रही है। उसे अधिकारी खा रहे हैं।

यह घोटाला सामने आया था

सीवन ब्लॉक के गांव ककराला इनायत में मनरेगा योजना के तहत घोटाला सामने आया था। यहां विदेश में रह रहे लोगों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए और उनकी हाजिरी लगाकर लाखों रुपए का गबन किया गया।

शिकायतकर्ता अमरीक सिंह ने आरोप लगाया था कि गांव के करीब 22 लोग जर्मनी, इटली, फ्रांस, मलेशिया और पुर्तगाल जैसे देशों में रहते हैं, जबकि यहां उनके नाम पर जॉब कार्ड जारी किए गए हैं। इन लोगों को मनरेगा मजदूर दिखाकर उनके खातों में पैसे भेजे गए, जबकि असलियत में वे लोग देश में ही नहीं हैं।

शिकायतकर्ता के अनुसार, जो पैसे इन फर्जी खातों में जमा किए गए, उनमें से मामूली रकम मेट द्वारा मजदूरों को दी जाती थी। जबकि, बाकी पैसा खुद और अधिकारियों के बीच बांट लिया जाता था।
अमरीक सिंह ने बताया था कि उनके गांव में वास्तव में काम करने वाले मजदूरों की संख्या लगभग 40 है, लेकिन 328 लोगों के नाम पर जॉब कार्ड बनाए गए हैं। यह घोटाला 2022 से चल रहा है। शिकायतकर्ता ने इस घोटाले की शिकायत जुलाई में DC और CM विंडो पर की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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