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इतनी आसान भी सीट नहीं करनाल लोकसभा, मनोहर लाल को करना पड़ सकता है कई तरह की चुनौतियों का सामना

Ο जगंशेर राणा चंडीगढ
हरियाणा की राजनीति के पीएचडी कहे जाने वाले चौधरी भजन लाल भी करनाल सीट से गच्चा खा गए थे। यहां से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। यह ऐसी सीट है,जहां बाहर से आकर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए अरविंद शर्मा आसानी से जीत भी जाते हैं। इस लोकसभा के मतदाता का मिजाज कब और किस तरफ हो जाए, इसका आकलन करने में अक्सर राजनीति के विशेषज्ञ भी गच्चा खा जाते हैं।
मनोहर लाल ने सीएम पद के साथ साथ करनाल के विधायक के पद से भी रिजाइन कर दिया है। उन्हें भाजपा ने करनाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। क्या यह सीट इतनी आसान है?, अब यह सवाल उठ रहा है। क्योंकि जिस तरह से इस सप्ताह घटनाक्रम बदले हैं,इसमें इस तरह के सवाल उठना लाजमी सा हो जाता है। मनोहर लाल को जिस तरह से अचानक ही प्रदेश की राजनीति से अलग कर केंद्र ले जाने की कोशिश हो रही है। फिलहाल तो यह तभी संभव है, यदि वह लोकसभा का चुनाव जीत जाए। इसी सोच के चलते उन्हें करनाल की आसान सीट से चुनाव लड़ाने की रणनीति बनी है।
लेकिन करनाल सीट इतनी आसान भी नहीं जितना बीजेपी सोच रही है। यह अलग बात है, भाजपा यहां से दो बार लगातार जीत हासिल करती रही है। 2014 में यहां से अश्विनी चोपड़ा व 2019 में यहां से संजय भाटिया चुनाव जीते थे। फिर भी करनाल सीट के मतदाता का मिजाज कब किस और हो जाए, इसका आकलन करना मुश्किल काम है। यह ऐसी सीट है,जिस पर चौधरी भजन लाल भी चुनाव हार गए थे। वह नेता, जो अपने कार्यकाल में कभी भी कोई चुनाव नहीं हारे। लेकिन 1999 में उन्हें भी करनाल से हार का सामना करना पड़ा था। इस लिस्ट में भजन लाल अकेले नहीं है, सुषमा स्वराज तीन बार 1980,1984 व 1989 में यहां से लगातार हारीं थी। करनाल से चार बार जीत हासिल करने वाले पंडित चिरंजीलाल भी अपना अंतिम चुनाव 1996 में यहां से हार गए थे।
मनोहर लाल सांसद संजय भाटिया से मजबूत या कमजोर
दयाल सिंह कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डा. रामजी लाल ने कहा कि मनोहर लाल करनाल के भाजपा सांसद संजय भाटिया से कमजोर उम्मीदवार है। कम से कम अभी तक तो यह स्थिति है। इसकी बड़ी वजह तो यह है कि मनोहर लाल से करनाल के मतदाता नाराज है। सीएम रहते हुए यहां कोई बड़ा काम नहीं किया। जिससे वह मतदाता में आगे भी विकास को लेकर उम्मीद जगा सके।
ग्रामीण क्षेत्रों में मनोहर लाल की पकड़ काफी कमजोर है। अपने विधानसभा क्षेत्र में भी मतदाताओं पर उनकी पकड़ ज्यादा नहीं है। वह मोदी मैजिक और सीएम होने के नाते जीतते रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर करनाल विधानसभा से विधायक थे। करनाल हलका शहरी इलाका है, जहां शहरी वोट ज्यादा हैं। कुछ गांव करनाल विधानसभा में आते हैं। अगर लोकसभा की बात करें तो करनाल सीट दो जिलों में शामिल है, जहां किसानों की आबादी सबसे ज्यादा है। ग्रामीण क्षेत्र में बीजेपी का जनाधार उतना मजबूत नहीं है। करनाल लोकसभा क्षेत्र में करनाल की 5 और पानीपत 4 विधानसभा सीटें मिलाकर कुल 9 सीटें शामिल हैं। इसमें 3 सीटें कांग्रेस और 5 सीटें बीजेपी के पास हैं।
पिछले दो लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पंजाबी उम्मीदवारों को उतारा गया था। बाकी समुदाय के लोग अब पंजाबी समुदाय के उम्मीदवार का विरोध कर रहे हैं।
पानीपत में उनका इतना होल्ड नहीं है।
संजय भाटिया की करनाल में उपस्थिति कम रही है। जिससे मनोहर लाल को भी लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।
करनाल के कार्यकर्ता भी सीएम की कार्यप्रणाली से खफा है। उनके पास ऐसी कोई टीम भी नहीं है जो उनके लिए ग्राउंड पर काम कर सके। वह पूरी तरह से संगठन पर निर्भर है। इसके साथ ही पंजाबी वोट का उन्हें सहारा है। इस सीट पर पंजाबी व जाट बिरादरी के दो दो लाख वोटर है। तीसरे नंबर पर ब्राह्मण मतदाता जिनकी संख्या डेढ़ लाख, रोड़ जो कि स्वयं को मराठा के वंशज बताते हैं, इनकी वोट यहां एक लाख 20 हजार पांचवें नंबर पर जटसिख जो कि 92 हजार छठे नंबर पर राजपूत जो 80 हजार के
संजय भाटिया का पानीपत में होल्ड है। उनके पास अपनी एक टीम है, जो पानीपत में उन्हें मजबूती देती है। करनाल में संजय भाटिया को मनोहर लाल की नजदीकी का फायदा मिलता था। क्योंकि मनोहर लाल तब सीएम थे,इसलिए मतदाता उनके साथ जुड़ जाते थे।
लेकिन अब मनोहर लाल के लिए हालात बदल गए हैं।
हालांकि भाजपा के नेता बृज गुप्ता ने कहा कि आम मतदाताओं में पूर्व सीएम मनोहर लाल की गहरी पकड़ है। उन्होंने प्रदेश के विकास के लिए जो काम किए हैं, वह अपने आप में उल्लेखनीय है। करनाल में महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय स्थापित किया,इसके साथ ही कुटेल में मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना की। करनाल शहर के विकास की ओर पूरा ध्यान दिया गया।
बेहतर सड़कें व ढांचागत विकास को गति दी गई है।
यह कहना गलत है कि पानीपत में मनोहर लाल की पकड़ ढीली है, उनकी पकड़ तो पूरे प्रदेश में हैं। जो लोग यह कहते हैं कि मनोहर लाल की मतदाता पर पकड़ नहीं है, उन्हें वास्तविकता का पता नहीं है। इसलिए वह इस तरह की बातें कर रहे हैं।
बृज गुप्ता ने बताया कि इस बार करनाल लोकसभा सीट से मनोहर लाल जीत के पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ देंगे। इसके लिए सभी कार्यकर्ता दिन रात काम कर रहे हैं।