अश्विन मास की नवरात्रि पर होती है शक्तियों की विदाई : बीके सुमित्रा

भिवानी, 4 अक्तूबर। वर्ष में दो बार नवरात्रि प्रत्यक्ष रूप में और अप्रत्यक्ष यानि गुप्त नवरात्रि भी दो बार ही मनाई जाती हैं। चैत्र नवरात्रि के बाद रामनवंमी अर्थात राम का जन्म होता है तथा अश्विन मास की नवरात्रि के बाद दशहरा मनाया जाता है अर्थात चैत्र मास की नवरात्रि का अर्थ है शक्ति का आहवान करना और अश्विन मास की नवरात्रि पर शक्तियों की विदाई। इसका आध्यात्मिक रहस्य है अपने अंदर दिव्यता का आहवान कर बुराई अर्थात विकारों पर विजय प्राप्त करना। यह बात प्रथम नवरात्रि पर स्थानीय प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज की शाखा सिद्धि धाम में नवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए शाखा प्रमुख राजयोगिनी बीके सुमित्रा बहन ने ये आध्यात्मिक रहस्य आम जनमानस तक पहुंचे ये अष्ट शक्तियों की जिम्मेवारी सौंपी। बीके सुमित्रा ने बताया कि नवरात्रि के 9 दिन तीन देवियों के तीन-तीन दिन हैं। जिनसे ही मुनष्य जीवन चलता है। तीन दिन महाकाली अर्थात क्रिया शक्ति जोकि तमो का प्रतीक है, तमोगुण को मिटाकर जब क्रिया शील बनेंगे तो तीन दिन महालक्ष्मी जोकि रजो गुण को दर्शाती है और धनधान्य से संपन्न बनाती है। तीसरी देवी है महासरस्वती जोकि ज्ञान की देवी है। अंतिम तीन दिन महासरस्वती के मिलाकर 9 दिन नवरात्रि का गायन, पूजन, वंदन और जागरण करते हैं। 9 दिन तक अखंड ज्योत जलाते हैं। तीनों देवियों की उपदेवियों के ही अनेक देवी स्वरूप है। इनके बिना जीवन संभव ही नहीं है अर्थात भारत एक धार्मिक, धेरियता, धर्मप्रायण तथा आध्यात्मिक देश है। जहां पर आपसी प्रेम, भाईचारा देखते ही बनता है। इस अवसर पर बीके आरती, बीके कृष्ण, बीके बसंती, बीके विजय, बीके संतोष, बीके मंजू, बीके सुशील, बीके कमलेश, बीके माया व मीडिया कॉर्डिनेटर बीके धर्मवीर सहित अनेक ब्रह्मावत्स उपस्थित रहे।