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अनुज राणा पांच तत्त्व में विलीन, अनुज राणा के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए शोक सभा 5 नवंबर को

वरिष्ठ पत्रकार अनुज राणा के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए 5 नवंबर बुधवार को दोपहर 12 बजे भिवानी के इंपूर्वमेंट मार्केट स्थित मीडिया सैंटर में शोक सभा आयोजित की जाएगी। इस दौरान स्व. अनुज राणा के परिजनों तक भविष्य में किस प्रकार से आर्थिक सहायता पहुंचाई जाए, इस मुद्दे पर भी चर्चा होगी। अत: आप सभी पत्रकार बंधु इस मीटिंग में अवश्य पहुंचे।

-अल्प आयु में मौत का करना पड़ा सामना, जिसके चलते वे पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर पाए
भिवानी, 4 नवम्बर : कलम के धनी वरिष्ठ पत्रकार अनुज राणा का रविवार देर रात बीमारी के चलते निधन हो गया। 48 वर्षीय अनुज राणा अपने पीछे दो बेटियां व बुजुर्ग माता-पिता को छोड़ गए। वे पिछले कुछ दिनों से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उनका सोमवार सुबह भिवानी के हनुमान गेट स्थित वैंकुठ धाम में अंतिम संस्कार किया गया। उनके अंतिम संस्कार में भिवानी शहर के गणमान्य लोगों व जिले के पत्रकार मुख्य रुप से उपस्थित रहे।
आपको बतादें की समाचार सेवक पात्र के सम्पादक व वरिष्ठ पत्रकार अनुज राणा ने कलमकार के तौर पर अपनी वर्ष 1998 में हरिभूमि से जुडक़र अपनी पत्रकारिता शुरु की। वर्ष 2000 में वे भास्कर समाचार पत्र से जुड़े, वर्ष 2005 से 2015 तक वे पंजाब केसरी से जुड़े रहे। इसके बाद उन्होंने अपना समाचार पत्र समाचार सेवक की स्थापना की तथा उसके लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य करते रहे। उन्होंने अपने पत्रकारिता के कार्यकाल में विभिन्न समाचार पत्रों में रहते हुए लेखन का कार्य किया। अपने लेखन कार्य के दौरान वे हरिभूमि समाचार पत्र में उप-संपादक के तौर पर हरियाणवी संस्कृतिक से जुड़ी चौपाल मैगजीन का सम्पादक कार्य बखूबी  निभाया। उन्होंने अपने लेखन कार्य के दौरान न केवल फील्ड की पत्रकारिता के साथ-साथ डेस्क की पत्रकारिता का भी अच्छा खासा अनुभव रहा। वे क्राइम स्टोरी व विकासात्मक स्टोरी के साथ-साथ आर्टिकल लेखन पर भी उनकी अच्छी पकड़ थी। साथ ही उन्होंने रंगकर्मी  के तौर पर विभिन्न नाटकों में मंचन कर अपनी भूमिका निभाई। मात्र 70 गज के अपने मकान में रहकर उन्होंने समाचार सेवक अखबार की स्थापना की बल्कि इस समाचार पत्र को डिजिटल रूप देने में बड़ी सफलता पाई। हालांकि वे अपने कार्य को हमेशा दुरुस्त तरीके से करते रहे परंतु अल्प आयु में ही उन्हें मौत का सामना करना पड़ा जिसके चलते वे पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर पाए। उनकी दो बेटियों की शिक्षा, माता-पिता व बहनों की जिम्मेवारी उन पर सदा रही, जिसे निभाने का कार्य वे नहीं कर पाए। उनकी अंत्येष्टि पर विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, राजनीतिक दलों के सदस्य, पत्रकार साथी व शहर के गणमान्य व्यक्ति मुख्य रूप से मौजूद रहे।

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