अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आए इस शिल्पकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रुमाल पर फोटो बनाकर किया है गिफ्ट ।
रुमाल बनाने पर लगा 1 साल का समय ।

चांदी की जरी के जामवानी लहंगे को तैयार करने में लगा 5 साल लंबा समय
कुरुक्षेत्र,(राणा) । बनारस के शिल्पकार बाबु राम ने 5 साल की कड़ी मेहनत के बाद चांदी की जरी और 500 तिल्लों का प्रयोग कर हाथों से जामवानी लहंगा तैयार किया। इस लंहगे को तैयार करते-करते शिल्पकार बाबु राम मानसिक रुप से बीमार भी हो गए, लेकिन अपने लक्ष्य को पूरा किया। इस लहंगे की कीमत 12 लाख रुपए से ज्यादा आंकी गई, लेकिन इन शिल्पकार ने लहंगे को बेचा नहीं अपितु अपने घर में बने म्यूजियम में सजा दिया। इस शिल्प कारीगारी को देखकर वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से वर्ष 2009 में राष्टï्रीय अवार्ड से नवाजा गया।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2023 के शिल्प मेले में स्टॉल नंबर 184 पर पर्यटकों के लिए बनारसी सूट, साडी, लंहगे, दुप्टटे रखे है। बनारस के शिल्पकार बाबू राम ने विशेष बातचीत करते हुए कहा कि सालों से लंहगा, चोली, सूट, साड़ी बनाने का काम कर रहे है। उन्होंने जामवानी चोली और लंहगा बनाने का एक लक्ष्य तय किया। इस लंहगे को बनाने के लिए रेशम के कीड़े से बनने वाले धागे, रुई और 500 तिल्लों से कपड़े पर चांदी की जरी की कढ़ाई का कार्य शुरु किया। इस लंहगे को तैयार करते-करते 5 साल का लंबा समय लग गया। इस दौरान 2 साल तो मानसिक रुप से बीमार भी हुए और लंबा इलाज भी चला, लेकिन अपने लक्ष्य को जरुर हासिल किया। इस लहंगे को तैयार करने पर वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से वर्ष 2009 में राष्टï्रीय अवार्ड भी दिया गया।
उन्होंने कहा कि इस लहंगे की लोगों ने 12 लाख रुपए कीमत भी लगाई, लेकिन उन्होंने लहंगे को बेचने से इनकार कर दिया। इस लहंगे को घर में बने संग्रहालय में सजाया है और इस लहंगे की फोटो खींचने पर पूर्णत: पाबंदी भी लगा रखी है। इस लंहगे को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते है और लहंगा देखने के बाद 2 से 3 हजार रुपए भी देकर जाते है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कढ़ाई वाला एक रुमाल भी तैयार किया। इस रुमाल पर रेशम के धागे और चांदी की जरी का प्रयोग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चित्र बनाया। इस रुमाल को तैयार करने में 1 साल का समय लगा और 2 साल पहले उनको स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह रुमाल भेंट करने का अवसर भी मिला। इसके लिए उन्हें सरकार की तरफ से इनाम भी दिया गया।
शिल्पकार ने कहा कि अब जामवानी साड़ी बनाने का काम शुरु किया है। इस साड़ी को तैयार करने में लगभग 2 वर्ष का समय लगेगा। यह सारा कार्य हाथ के साथ किया जाता है और स्वयं ही हाथ से डिजाईन तैयार करते है। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव में काफी अर्से से आ रहे है और यहां पर पर्यटकों के लिए साड़ी, सूट लेकर आए है, इनकी कीमत 3 हजार रुपए से लेकर 25 हजार रुपए रखी गई है। हालांकि सूट की रेंज 1500 रुपए से शुरु हो जाती है।
धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र पूरे विश्व में सबसे सुंदर और भव्य दर्शनीय स्थल:आर्थर
—————————
फ़्रांस से शांति नोबेल पुरस्कार विजेता डा. आर्थर रिडेकर ने कहा कि उन्हें बहुत देश देखने का मौका मिला लेकिन धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र विश्व में सबसे सुंदर और भव्य दर्शनीय स्थल है। इस स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के उपदेश दिए। यह उपदेश आज भी पूरे विश्व में शांति का मार्ग दिखाते है। इस विश्व में शांति स्थापित करने के लिए प्रत्येक मानव को पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेशों का अनुसरण करना चाहिए।
शांति नोबेल पुरस्कार विजेता डा. आर्थर रिडेकर मंगलवार को देर सायं ब्रहमसरोवर पुरुषोतमपुरा बाग में महोत्सव के गीता महाआरती कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रुप में बोल रहे थे। इससे पहले शांति नोबेल पुरस्कार विजेता डा. आर्थर रिडेकर, हरियाणा सीसीएस कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर वीके कांबोज, कनाड़ा की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के प्रोफेसर देवकी नंदन, पौलेंड से यूनिवर्सिटी ऑफ वारसा के प्रोफेसर टकाओ इशिकावा, ब्राजील से यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रासिलिया के प्रोफेसर फ्रांसिस्को फैगियन, वालमी हेथे फैगियन, मारिया फैगियन, सेसिला फेगियन, उपायुक्त शांतनु शर्मा, केडीबी के सीईओ एवं एडीसी अखिल पिलानी, हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच, केडीबी के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल, डीएमसी पंकज सेतिया, कृषि विश्व विद्यालय केमिस्ट्री विभाग के चेयरमैन डा. रजनीकांत शर्मा, केडीबी सदस्य अशोक रोशा, पूर्व सदस्य सौरभा चौधरी सहित अन्य गणमान्य लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर ब्रहमसरोवर की महाआरती और पूजा-अर्चना की तथा दीपशिखा प्रज्ज्वलित कर विधिवत रुप से महाआरती का शुभारम्भ भी किया। इसके उपरांत सभी मेहमानों ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ यादगारी समुह चित्र भी करवाया।
इस महाआरती का गुणगान पंडित बलराम गौतम, पंडित सोमनाथ शर्मा, गोपाल कृष्ण गौतम, अनिल व रुद्र ने किया। इस गीता महाआरती से पहले कलाकारों ने भजन संध्या की प्रस्तुती देकर ब्रहमसरोवर की फिजा में भक्तिरस भर दिया। शांति नोबेल पुरस्कार विजेता डा. आर्थर रिडेकर ने कहा कि श्रीमद भगवत गीता के श्लोकों में मनुष्य जीवन की हर समस्या का हल छिपा है। गीता के 18 अध्याय और 700 गीता श्लोक में कर्म, धर्म, कर्मफल, जन्म, मृत्यु, सत्य, असत्य आदि जीवन से जुड़े प्रश्नों के उत्तर मौजूद है। यह किसी जाति, धर्म विशेष का ग्रंथ नही बल्कि सम्पूर्ण मानवता का ग्रंथ है। यह मनुष्यों को कर्म का संदेश देता है। मनुष्य जीवन की चिंताओं, समस्याओं, अनेक तरह के तनावों से घिरा हुआ है, कई बार वह भटक जाता है, ऐसे में गीता मानव को क्रियाशीलता का संदेश देती है और जीवन जीने की कला सिखाती है।
सीईओ केडीबी अखिल पिलानी ने कहा कि केडीबी के सदस्यों व अधिकारियों के प्रयासों से अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव का बेहतरीन तरीके से आयोजन किया जा रहा है। वर्ष 2015 में जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल महोत्सव में शिरकत करने आए तब इस महोत्सव का स्वरुप काफी छोटा था, उस समय सभी ने गीता जयंती के आयोजन को बड़े स्तर पर करने का प्रस्ताव रखा और मुख्यमंत्री ने इस उत्सव को अंतर्राष्टï्रीय स्तर पर मनाने की घोषणा की थी, तब से लेकर आज तक इस महोत्सव का आयोजन अंतर्राष्टï्रीय स्तर पर किया जा रहा है। वर्तमान में पूरे विश्व में कार्यक्रम हो रहे है। इस कार्यक्रम के अंत में केडीबी की तरफ से सभी मेहमानों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।